Sunday, 23 June 2013

♥♥चांदनी के दीये..♥♥

♥♥♥♥♥चांदनी के दीये..♥♥♥♥♥
चांदनी के हजारों दीये जल गए!
आसमां में सितारों के गुल खिल गए!
प्यार की लहरें देखो मचलने लगीं,
एक दूजे से जब अपने दिल मिल गए!

प्यार से चांदनी भी, निखरने लगी!
हर तरफ रौशनी सी, बिखरने लगी!

लाज इतनी हुई है, लब सिल गए!
चांदनी के हजारों दिए जल गए...

चांदनी रात का ये मिलन खास है!
मैं तेरे पास हूँ, तू मेरे पास है!
तुमसे मिलकर मुझे "देव" ऐसा लगा,
मैं जमीं और तू मेरा आकाश है!

प्यार के सपने दिल में सजाते रहो!
प्यार जन्मों-जन्म तक निभाते रहो!

प्यार से अपने ख्वाबों के तन धुल गए!
चांदनी के हजारों दिए जल गए!"

......चेतन रामकिशन "देव"......
दिनांक-२३.०६.२०१३

♥♥दर्द की निशानी..♥♥

♥♥♥♥♥दर्द की निशानी..♥♥♥♥♥
जिंदगी से उलझकर ही रहने लगे!
आंख से आंसू दिन रात बहने लगे!

जो भी सपने सजाये थे मैंने कभी,
वक़्त की ठोकरों से वो ढहने लगे!

रौशनी ने पलटकर ही देखा नहीं,
हम अंधेरों को ही अपना कहने लगे!

प्यार में जो मिला वो निशानी समझ,
दर्द हंसकर के दिन रात सहने लगे!

वंदना जिसकी हम करते आये सदा,
उसकी धारा में जज्बात बहने लगे!

मेरे भीतर का कुंदन निखरने लगा,
हम गमों की तपिश जबसे सहने लगे!

"देव" अपनों ने मुड़कर नहीं देखा तो,
हम रकीबों को ही अपना कहने लगे!"

..........चेतन रामकिशन "देव"........
दिनांक-२३.०६.२०१३