♥♥♥♥♥दर्द की निशानी..♥♥♥♥♥
जिंदगी से उलझकर ही रहने लगे!
आंख से आंसू दिन रात बहने लगे!
जो भी सपने सजाये थे मैंने कभी,
वक़्त की ठोकरों से वो ढहने लगे!
रौशनी ने पलटकर ही देखा नहीं,
हम अंधेरों को ही अपना कहने लगे!
प्यार में जो मिला वो निशानी समझ,
दर्द हंसकर के दिन रात सहने लगे!
वंदना जिसकी हम करते आये सदा,
उसकी धारा में जज्बात बहने लगे!
मेरे भीतर का कुंदन निखरने लगा,
हम गमों की तपिश जबसे सहने लगे!
"देव" अपनों ने मुड़कर नहीं देखा तो,
हम रकीबों को ही अपना कहने लगे!"
..........चेतन रामकिशन "देव"........
दिनांक-२३.०६.२०१३
जिंदगी से उलझकर ही रहने लगे!
आंख से आंसू दिन रात बहने लगे!
जो भी सपने सजाये थे मैंने कभी,
वक़्त की ठोकरों से वो ढहने लगे!
रौशनी ने पलटकर ही देखा नहीं,
हम अंधेरों को ही अपना कहने लगे!
प्यार में जो मिला वो निशानी समझ,
दर्द हंसकर के दिन रात सहने लगे!
वंदना जिसकी हम करते आये सदा,
उसकी धारा में जज्बात बहने लगे!
मेरे भीतर का कुंदन निखरने लगा,
हम गमों की तपिश जबसे सहने लगे!
"देव" अपनों ने मुड़कर नहीं देखा तो,
हम रकीबों को ही अपना कहने लगे!"
..........चेतन रामकिशन "देव"........
दिनांक-२३.०६.२०१३
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