♥♥♥♥♥प्यासी रूह...♥♥♥♥♥♥
बिन तुम्हारे बहुत उदासी है।
आँख गीली है, रूह प्यासी है।
ऐसा लगता है मुझको तुम बिन क्यों,
जैसे के जिंदगी जरा सी है।
घर भी सूना है और आँगन भी,
भीड़ अपनों की चाहें खासी है।
न ही चन्दन में है महक तुम बिन,
फूल माला भी देखो वासी है।
"देव" धरती तो भीगी बारिश में,
मेरे दिल की जमीन प्यासी है। "
......चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-२५.०६.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।
बिन तुम्हारे बहुत उदासी है।
आँख गीली है, रूह प्यासी है।
ऐसा लगता है मुझको तुम बिन क्यों,
जैसे के जिंदगी जरा सी है।
घर भी सूना है और आँगन भी,
भीड़ अपनों की चाहें खासी है।
न ही चन्दन में है महक तुम बिन,
फूल माला भी देखो वासी है।
"देव" धरती तो भीगी बारिश में,
मेरे दिल की जमीन प्यासी है। "
......चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-२५.०६.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।