♥♥♥♥एक तूफ़ान....♥♥♥♥
एक तूफ़ान नज़र आया है।
घर मिटटी का घबराया है।
अपनों ने भी नज़रें फेरीं,
गैरों ने भी ठुकराया है।
सफर आखिरी जोड़ घटा लूँ,
कितना खोया, क्या पाया है।
उसी फूल को रौंदा जाता,
जिसने आंगन महकाया है।
हमको पाला छांव में जिसने,
उसी पेड़ को कटवाया है।
जो झूठा था उसे अशरफी,
आखिर सच को झुठलाया है।
''देव'' ये दुनिया बड़ी बेरहम,
कब्र में जिन्दा दफ़नाया है। "
(चेतन रामकिशन "देव")
दिनांक- २२.१२.२०१६
(मेरी यह रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित )
एक तूफ़ान नज़र आया है।
घर मिटटी का घबराया है।
अपनों ने भी नज़रें फेरीं,
गैरों ने भी ठुकराया है।
सफर आखिरी जोड़ घटा लूँ,
कितना खोया, क्या पाया है।
उसी फूल को रौंदा जाता,
जिसने आंगन महकाया है।
हमको पाला छांव में जिसने,
उसी पेड़ को कटवाया है।
जो झूठा था उसे अशरफी,
आखिर सच को झुठलाया है।
''देव'' ये दुनिया बड़ी बेरहम,
कब्र में जिन्दा दफ़नाया है। "
(चेतन रामकिशन "देव")
दिनांक- २२.१२.२०१६
(मेरी यह रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित )