Sunday, 29 July 2012

♥एहसास के लम्हे...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥एहसास के लम्हे...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जब मेरी पलकों की चिलमन, अश्कों से नम हो जाती है!
तब तब मेरे दिल की उलझन, कुछ पल को कम हो जाती है!

मैं और मेरी तन्हाई को, जब भी उसका साथ मिला है,
तब तब देखो रात अमावस, खिल के पूनम हो जाती है!

उम्मीदों के आसमान पर, जब जब पंख पसारे मैंने,
मेरी माँ की दुआ देखिये, पंखों का दम हो जाती है!

मजहब से ऊपर उठकर के, जब भी मुझसे मिला है कोई,
आँखों को अच्छा लगता है, दिल में सरगम हो जाती है!

"देव" न जाने कैसे जीते, लोग जहाँ में पत्थर बनकर,
यहाँ देखिये नरमी से ही, दुनिया हमदम हो जाती है!"

.................चेतन रामकिशन "देव".....................