Thursday 7 March 2013

♥नारी का अलंकरण..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥नारी का अलंकरण..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नारी के सम्मान का चिंतन, अपने मन में भरना होगा!
भ्रूण में पुत्री का स्वागत कर, उसका संकट हरना होगा!
केवल बातें करने भर से, नारी सम्मानित नहीं होती,
हमको नारी के जीवन का, सदा अलंकरण करना होगा!

नारी भी है पुरुषों जैसी, उसका जीवन व्यर्थ नहीं है!
हम पुरुषों के इस जीवन का, बिन नारी के अर्थ नही है!

नारी को पीड़ित करने की, सोच से हमको डरना होगा!
नारी के सम्मान का चिंतन, अपने मन में भरना होगा...

नारी मन की अभिलाषा का, दमन नहीं करना है हमको!
लोभ स्वार्थ में पड़ नारी का, दहन नहीं करना है हमको!
हमको नारी की पीड़ा की, अनुभूति करनी ही होगी,
नारी मन की पीड़ाओं को, गहन नहीं करना है हमको!

नारी प्रेम की संवाहक है, नारी का मन बड़ा दयालु!
उसका ह्रदय बहुत बड़ा है, नारी होती है कृपालु! 

हमको नारी के अश्रु के, संग संग देखो झरना होगा!
नारी के सम्मान का चिंतन, अपने मन में भरना होगा...

एक दिन की अपनायत देकर, नहीं वर्ष भर उसे रुलाना!
न उसको आरोपित करना, न ही उसका ह्रदय दुखाना!
बिन नारी के इस दुनिया में, जनम पुरुष को मिल न पाए,
इसीलिए तुम भूले से भी, नारी का मन नहीं सताना!

बिना नारी के प्रकृति भी, नहीं संतुलित हो सकती है!
बिन नारी के मनुज श्रंखला, नहीं अंकुरित हो सकती है!

"देव" हमे नारी जीवन को, सदा सुसज्जित करना होगा!
नारी के सम्मान का चिंतन, अपने मन में भरना होगा!"

"
नारी-प्रकृति की ऐसी कृति, जिसके बिन ये जग सम्पूर्ण नहीं, जो अनेकों दायित्वों का निर्वहन, पुरुष समाज के लिए, बड़े ही अपनत्व के साथ करती है, किन्तु इसके पश्चात भी, इस कोमल ह्रदयी नारी को, इसी पुरुष वर्ग के हाथों दंड मिलता है, आरोप मिलते हैं, तो आइये चिंतन करें और नारी के जीवन को, सम्मान से अलंकृत करें..."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०८.०३.२०१३ 

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"मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित."