Sunday, 25 May 2014

♥टूटे दिल के बिखरे टुकड़े ♥

♥♥♥टूटे दिल के बिखरे टुकड़े ♥♥♥
मिन्नतें उम्र भर मैं करता रहा!
ख्वाब आँखों मैं जिनके भरता रहा!
देखते वो रहे तमाशा यहाँ,
दिल मेरा टूट कर बिखरता रहा!

खून के रिश्तों का ही अपनापन,
दिल के रिश्तों का कोई नाम नहीं!

प्यार के बदले मिल रही नफरत,
अब वफ़ा का कोई ईनाम नहीं!

उनको फुर्सत नहीं दवाओं की,
दर्द मेरा यहाँ उभरता रहा!
देखते वो रहे तमाशा यहाँ,
दिल मेरा टूट कर बिखरता रहा...

मैं भी इंसान हूँ नहीं पत्थर,
दर्द मेरे भी दिल को होता है!

मेरी आँखे भी हैं अभी जिन्दा,
आंसूओं का रिसाव होता है!

 "देव" कैसे यकीन हो सच का,
अब तलक तो हर एक मुकरता रहा!
देखते वो रहे तमाशा यहाँ,
दिल मेरा टूट कर बिखरता रहा! "

.....चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक- २६.०५.२०१४