Thursday, 2 August 2012

♥♥दीप शिखा सी तुम♥♥♥


♥♥दीप शिखा सी तुम♥♥♥
जीवन पथ में दीप जले हैं!
अंधकार के रंग ढले हैं!
जब से तुम जीवन में आईं,
सखी हजारों फूल खिले हैं!

तुम अपनी मीठी वाणी से
तन मन शीतल कर देती हो!
तुम चिंतन में शुद्धि देकर,
चित् को निश्चल कर देती हो!

सखी तुम्हारी सच्चाई से,
मिथ्या ने भी होठ सिले हैं!

जब से तुम जीवन में आईं,
सखी हजारों फूल खिले हैं.....

तुमसे उपवन की हरियाली!
तुमसे मेरे घर खुशहाली!
तुमसे ही चंदा जगमग है,
तुमसे ही सूरज की लाली!

"देव" तुम्हारी प्रीत से देखो,
वाणी में मकरंद घुले हैं!

जब से तुम जीवन में आईं,
सखी हजारों फूल खिले हैं!"

"प्रेम- एक ऐसी भावना जिसके ग्रहण करने से, मनुज के जीवन में हर्ष, प्रसन्नता, संघर्ष करने की प्रेरणा, अग्रसर होने की भावना पैदा होती है! प्रेम, समर्पण भाव के साथ जब जीवन पथ में समाहित होता है, तो निश्चित रूप से उस पथ में दीप जल जाते हैं!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०३.०८.२०१२

रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!

♥प्रीत जुड़ी है मन की....♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रीत जुड़ी है मन की....♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुमसे प्रीत जुड़ी है मन की, तुमसे ही रंगत यौवन की!
तुमसे ही मेरे शब्दों को, शक्ति मिलती है सृजन की!

मेरा हाथ पकड़ चलती हो, तुम मुझको प्रेरित करती हो!
तुम मेरे जीवन में हर क्षण, साहस और शक्ति भरती हो!
मेरी पीड़ा को तुम अपनी, पीड़ा सदा समझती आईं,
मेरी कुशल कामना हेतु, ईश्वर से विनती करती हो!

तुम ही मेरी सम्रद्धि हो, तुम ही उपलब्धि जीवन की!
तुमसे ही मेरे शब्दों को, शक्ति मिलती है सृजन की!"

....................चेतन रामकिशन "देव".........................