♥♥दीप शिखा सी तुम♥♥♥
जीवन पथ में दीप जले हैं!
अंधकार के रंग ढले हैं!
जब से तुम जीवन में आईं,
सखी हजारों फूल खिले हैं!
तुम अपनी मीठी वाणी से
तन मन शीतल कर देती हो!
तुम चिंतन में शुद्धि देकर,
चित् को निश्चल कर देती हो!
सखी तुम्हारी सच्चाई से,
मिथ्या ने भी होठ सिले हैं!
जब से तुम जीवन में आईं,
सखी हजारों फूल खिले हैं.....
तुमसे उपवन की हरियाली!
तुमसे मेरे घर खुशहाली!
तुमसे ही चंदा जगमग है,
तुमसे ही सूरज की लाली!
"देव" तुम्हारी प्रीत से देखो,
वाणी में मकरंद घुले हैं!
जब से तुम जीवन में आईं,
सखी हजारों फूल खिले हैं!"
"प्रेम- एक ऐसी भावना जिसके ग्रहण करने से, मनुज के जीवन में हर्ष, प्रसन्नता, संघर्ष करने की प्रेरणा, अग्रसर होने की भावना पैदा होती है! प्रेम, समर्पण भाव के साथ जब जीवन पथ में समाहित होता है, तो निश्चित रूप से उस पथ में दीप जल जाते हैं!"
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०३.०८.२०१२
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!