Thursday, 27 March 2014

♥माँ के लफ्ज़…♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥माँ के लफ्ज़…♥♥♥♥♥♥♥♥♥
माँ के लफ्ज़ों से दुआओं की फसल खिल जाये!
माँ के एहसास से खुशियों का कमल खिल जाये!
दूध से अपने भुजाओं में, बल भरा मेरी,
माँ के आँचल में मुझे, सारी खुशी मिल जाये!

माँ की आवाज़ ने जब भी मुझे पुकारा है!
मुझे उस वक़्त मिला, प्यार बहुत सारा है!

माँ के छूने से, चुभा काँटा भी निकल जाये!
माँ के लफ्जों से दुआओं की फसल खिल जाये!

माँ की आँखों में सितारों की चमक रहती है!
माँ की बोली में सुरों जैसी खनक रहती है!
बंद आँखों से भी कर लेती नजारा है माँ,
माँ को संतान की पीड़ा की भनक रहती है!

माँ का दिल प्यारा है, सूरत भी बड़ी भोली है!
माँ की ममता से दीवाली है, मेरी होली है!

माँ के होने से, अंधेरों में दीया जल जाये!
माँ के लफ्जों से दुआओं की फसल खिल जाये!

माँ की आँखों में नहीं आंसू, हमें भरने हैं!
माँ के दिल के भी नहीं टुकड़े हमें करने हैं!
"देव" धरती पे है भगवान की छाया माँ में,
हमको दुख दर्द यहाँ, माँ के सभी हरने हैं!

माँ के सपनों को सजाने के लिए जुट जाओ!
माँ के जीवन के लिए, हँसके यहाँ मिट जाओ!

माँ का किरदार नहीं कोई भी बदल पाये!
माँ के लफ्जों से दुआओं की फसल खिल जाये!"


(अपनी दोनों माताओं कमला देवी जी एवं प्रेमलता जी को सादर समर्पित)

....चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक- २७.०३.२०१४