♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ताजमहल पर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ताजमहल पर लिखा सबने, लेकिन मैं तुम पर लिखूंगा!
मैं मुफ़लिस का दर्द देखकर, अपनी आंखे तर लिखूंगा!
जब भी दर्द मिला है मुझको, मेरी माँ ने मुझे संभाला,
इसीलिए मैं माँ के दिल को, ममता का इक घर लिखूंगा!
जुर्म बढ़ गया इतना सारा, बेटी घर से निकल न पाए,
उस बेटी के नाजुक दिल का, सहमा सहमा डर लिखूंगा!
जिस दुनिया को देखा न हो, उस दुनिया में ले जाते हैं,
मैं अपने प्यारे ख्वाबों को, किसी परी के पर लिखूंगा!
झूठ बोलकर "देव" किसी से, अपनायत की चाह नहीं है,
सच्ची चाहत के सजदे में, बेशक अपना सर लिखूंगा!"
....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-०१.०४.२०१३