Tuesday, 23 December 2014

♥♥♥योद्धा...♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥योद्धा...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मिटकर नहीं सफर तय होता, डटकर सफर किया जाता है। 
मुश्किल तो आयेंगी बिल्कुल, जीवन अगर जिया जाता है। 
बिना लड़े ही रणभूमि में, जीत नहीं मिल सकती कतिपय,
यदि जीतना चाहते हो तो, खुद को सबल किया जाता है।  

जो जीवन की रणभूमि में, दुख से हंसकर टकराते हैं। 
वही लोग इतिहास की रचना, इस दुनिया में कर पाते हैं। 

योद्धा वो है जो मरकर भी, जग में याद किया जाता है।  
मिटकर नहीं सफर तय होता, डटकर सफर किया जाता है। 

दुनिया में कुछ करने वाले, नहीं हारकर चुप होते हैं। 
वो जीवन के कदम कदम पर, ऊर्जा के अंकुर बोते हैं। 
"देव" जहाँ में सबको कुदरत, नहीं रेशमी कम्बल देती,
योद्धा वो हैं जो भीतर का, ताप जगाकर दृढ होते हैं। 

जो बंजर को खोद खोद कर, कृषि भूमि कर जाते हैं। 
वही लोग तो इतिहासों में, नाम का अंकन कर पाते हैं। 

वीर वही वो जिसके द्वारा, मन को अभय किया जाता है। 
मिटकर नहीं सफर तय होता, डटकर सफर किया जाता है। "

.....................चेतन रामकिशन "देव"……..............
दिनांक--२४.१२.२०१४

♥♥♥टूट गया मन..♥♥♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥टूट गया मन..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दिन निकला था पीड़ाओं में, गम में मेरी रात ढ़ली  है। 
फूल दुखों की आंच में झुलसे, सूनी सूनी हर एक कली है। 
कुछ सपने हाथों में लेकर, जब भी पूरा करना चाहा,
किस्मत के संग अपनों का छल, लम्हा लम्हा मात मिली है। 

किसको दिल का हाल बताऊँ, कौन यहाँ पर दुख सुनता है। 
कौन किसे के ख्वाब यहाँ पर, अपने हाथों से बुनता है। 

मैंने चाही धूप खुशी की, पर गम की बरसात मिली है। 
दिन निकला था पीड़ाओं में, गम में मेरी रात ढ़ली  है... 

हार गया मन, रूठ गया मन, टुकड़े होकर टूट गया मन। 
लोग बढ़ गये हमे गिराके, सबसे पीछे छूट गया मन। 
"देव" जहाँ में नहीं किसी ने, मन को मेरे, मन से जोड़ा,
तन्हा होकर, गिरा अर्श से, फर्श पे गिरकर फूट गया मन। 

मन के टुकड़े देख देख कर, आँखों से आंसू बहते हैं। 
लोगों के दिल हैं छोटे पर, बड़ी बड़ी बातें कहते हैं। 

उम्र है छोटी मगर ग़मों की, बड़ी बड़ी सौगात मिली है। 
दिन निकला था पीड़ाओं में, गम में मेरी रात ढ़ली  है। "

...................चेतन रामकिशन "देव"……............
दिनांक--२३.१२.२०१४