♥♥♥♥♥♥♥♥♥वसीयत...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अपना दिल बेच दिया, तुमने ये नीयत बेची!
चंद पैसों के लिए, तुमने हक़ीक़त बेची!
अपनी पहचान, यहाँ अपने दबदबे के लिए,
प्यार की तुमने यहाँ देखो, वसीयत बेची!
खूबसूरत ये बदन का लिबास बेच दिया,
तुमने ईमान यहाँ और ये सीरत बेची!
एक ऊँची यहाँ पत्थर की हवेली के लिए,
तुमने पुरखों की वसाई, यहाँ जीनत* बेची!
दिल नहीं भरता यहाँ, सच की अठन्नी पाकर,
अपने हाथों से यहाँ, अपनी गनीमत* बेची!
देह पे रंग के भसम*, खुद को बड़ा मान लिया,
ऐसे लोगों ने ही पर, अपनी शरीअत* बेची!
"देव" दुनिया में नहीं, ऐसे बशर बेहतर हों,
जिसने माँ बाप के लफ्जों के, नसीहत बेची!"
..............चेतन रामकिशन "देव"…..........
दिनांक-२४.१२.२०१३
गनीमत*-काफी, शरीअत*-ईश्वरीय मार्ग, जीनत*-शोभा, भसम*-भस्म
अपना दिल बेच दिया, तुमने ये नीयत बेची!
चंद पैसों के लिए, तुमने हक़ीक़त बेची!
अपनी पहचान, यहाँ अपने दबदबे के लिए,
प्यार की तुमने यहाँ देखो, वसीयत बेची!
खूबसूरत ये बदन का लिबास बेच दिया,
तुमने ईमान यहाँ और ये सीरत बेची!
एक ऊँची यहाँ पत्थर की हवेली के लिए,
तुमने पुरखों की वसाई, यहाँ जीनत* बेची!
दिल नहीं भरता यहाँ, सच की अठन्नी पाकर,
अपने हाथों से यहाँ, अपनी गनीमत* बेची!
देह पे रंग के भसम*, खुद को बड़ा मान लिया,
ऐसे लोगों ने ही पर, अपनी शरीअत* बेची!
"देव" दुनिया में नहीं, ऐसे बशर बेहतर हों,
जिसने माँ बाप के लफ्जों के, नसीहत बेची!"
..............चेतन रामकिशन "देव"…..........
दिनांक-२४.१२.२०१३
गनीमत*-काफी, शरीअत*-ईश्वरीय मार्ग, जीनत*-शोभा, भसम*-भस्म