♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार का बसंत..♥♥♥♥♥♥♥♥
पीले फूलों की खुश्बू है, बरस रही बरसात!
बारिश की बूंदें लाईं हैं, खुशियों की सौगात!
चलो बसंती हो जायें हम, इन फूलों के संग,
बारिश की प्यारी बूंदों से, कहेंगे दिल की बात!
सखी मुझे हर मौसम में, भाये तेरा साथ!
मुझे कभी न तन्हा करना, नहीं छुड़ाना हाथ!
सखी तेरे ही प्रेम से हर्षित, हैं मेरे दिन रात!
पीले फूलों की खुश्बू है, बरस रही बरसात..
उपवन देखो खिले खिले हैं, धुली वनों की देह!
सखी कभी न कम करना तुम, अपना ये स्नेह!
सुख दुख के हम तुम साथी हैं, प्रेम है अपना "देव",
बड़े भाग्य से मिलता जग में, प्रेम का ये स्नेह!
बारिश में तो और भी प्यारा, लगे तुम्हारा रूप!
तुम छाया हो प्रकृति की, नैसर्गिक स्वरूप!
तेरे साथ से बन जाती है, देखो बिगड़ी बात!
पीले फूलों की खुश्बू है, बरस रही बरसात!"
...........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-१६.०२.२०१३