Wednesday, 21 January 2015

♥♥♥जंग...♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जंग...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
न भाई की यहाँ पर भाई से, अब जंग हो कोई। 
तमंचा, तोप न तलवार, अपने संग हो कोई। 

यहाँ रंग जाये हर चेहरा, मोहब्बत के गुलालों से,
नहीं सड़कों पे बिखरा, खून का अब रंग हो कोई। 

नहीं हो घाव अब गहरा, शिफ़ा मुफ़लिस को मिल जाये, 
दवा के बिन अपाहिज न किसी का, अंग हो कोई।  

मोहब्बत है खुदा बचपन से, मैं ये सीखता आया,
तपस्या प्यार की पल भर को भी न, भंग हो कोई। 

इमां कायम रहे, बाकि सलीका जिंदगी में हो,
तरक्की, नाम को, इंसां नहीं, बेढंग हो कोई। 

किसी का दिल नहीं टूटे, बदौलत मेरी न आंसू,
उजाला हाथ से मेरे, नही बेरंग हो कोई। 

सुनो तुम "देव" ये दुनिया, बनेगी खूबसूरत तब,
अगर इंसानियत का हर तरफ, सतरंग हो कोई। "

................चेतन रामकिशन "देव"…............
दिनांक--२१.०१.१५