Tuesday, 9 December 2014

♥♥♥सफर...♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सफर...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सफर धीमा सही, लेकिन चलो शुरुआत करते हैं। 
नज़र खुद पे टिकाकर, आज खुद से बात करते हैं। 

नहीं आया कोई मरहम लगाने ज़ख्म पे तो क्या,
खुले घावों पे आओ, ओस की बरसात करते हैं। 

मेरे अपनों ने ही मुझको ज़हर की सुईयां घोंपी,
नहीं दुश्मन कभी छुपकर के, मुझ पे घात करते हैं। 

चलो सबको दुआ बख्शो, नहीं रखो गिले शिकवे,
नहीं इंसानियत की, नफरतों से मात करते हैं। 

उजाला बेचने वालों कभी देखो भी उस तरफ़ा,
अँधेरे में गुजारा जो यहाँ, हर रात करते हैं। 

मेरा दामन, तेरे एहसास के, रंगों से रंग जाये,
तभी हम तेरी यादों से, हमेशा बात करते हैं। 

सुनो अब "देव" तुम होना, किसे के बाद में लेकिन,
चलो पहले खुदी से प्यार के, हालात करते हैं। "

..............चेतन रामकिशन "देव"…….......
दिनांक--१०.१२.२०१४

♥♥रिक्तता...♥♥


♥♥♥♥♥रिक्तता...♥♥♥♥♥♥♥
रिक्तता बिन तेरे बहुत होती। 
आँख भी बिन तेरे नहीं सोती। 
रात की लम्बी सी सुरंगों में,
भोर भी पास में नहीं होती। 

तेरे आने की राह नजरों में। 
तेरे दर्शन की चाह नज़रों में। 
तेरी धुंधली सी भी झलक न दिखे,
तो उमड़ती है दाह नजरों में। 

चाहकर भी ये अब जटिल पीड़ा,
देखो अवकाश में नहीं होती। 
रात की लम्बी सी सुरंगों में,
भोर भी पास में नहीं होती …

प्राण के बिन मेरा ये तन रहता। 
मौन हूँ अब मैं कुछ नहीं कहता। 
" देव " पाषाण तुमने समझा तो,
बनके जलधार मैं नहीं बहता। 

ढ़लना चाहूँ मैं तेरी प्रतिमा में,
और कोई आस अब नहीं होती। 
रात की लम्बी सी सुरंगों में,
भोर भी पास में नहीं होती। "

......चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक--०९.१२.२०१४