♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सफर...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सफर धीमा सही, लेकिन चलो शुरुआत करते हैं।
नज़र खुद पे टिकाकर, आज खुद से बात करते हैं।
नहीं आया कोई मरहम लगाने ज़ख्म पे तो क्या,
खुले घावों पे आओ, ओस की बरसात करते हैं।
मेरे अपनों ने ही मुझको ज़हर की सुईयां घोंपी,
नहीं दुश्मन कभी छुपकर के, मुझ पे घात करते हैं।
चलो सबको दुआ बख्शो, नहीं रखो गिले शिकवे,
नहीं इंसानियत की, नफरतों से मात करते हैं।
उजाला बेचने वालों कभी देखो भी उस तरफ़ा,
अँधेरे में गुजारा जो यहाँ, हर रात करते हैं।
मेरा दामन, तेरे एहसास के, रंगों से रंग जाये,
तभी हम तेरी यादों से, हमेशा बात करते हैं।
सुनो अब "देव" तुम होना, किसे के बाद में लेकिन,
चलो पहले खुदी से प्यार के, हालात करते हैं। "
..............चेतन रामकिशन "देव"…….......
दिनांक--१०.१२.२०१४
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