Tuesday 18 October 2011

*आई वही गुलामी***


**********आई वही गुलामी****************
"एक दिवस की आजादी थी, आई वही गुलामी!
माँ जननी की तस्वीरें फिर, लगती हमे पुरानी!
झंडे भी तह करके हमने, बक्सों में रख डाले,
सुप्त हो गया चिंतन मंथन, शीतल हुई जवानी!

जकड़ गयी माँ जननी फिर से, जागा भ्रष्टाचार!
सत्ताधारी दमन कर रहे, जनता का अधिकार!

लहू की स्याही सूख गई है, कैसे बढ़े कहानी!
एक दिवस की आजादी थी, आई पुन: गुलामी..........

इन्कलाब के नारों की भी, शांत हुई आवाज!
जंग लग गया है पंखो में, सुप्त हुई परवाज!
चोराहों पर पड़े सुनाई, फिर से फूहड़ गीत,
तहखाने में डाल दिए हैं, राष्ट्रगान के साज!

अंग्रेजो का रूप धर रही, देश की हर सरकार!
सिंहासन देने वालों पर, करती अत्याचार!

अरबों में भी नहीं है कोई , भगत सा स्वाभिमानी!
एक दिवस की आजादी थी, आई वही गुलामी!

आजादी के दिन ही बंटती, निर्धन को खैरात!
अँधेरे में फुटपाथों पर कटती उसकी रात!
चौराहे पर मिलती रहती, भूखी प्यासी लाश,
किन्तु शासन प्रशासन को आम हुई ये बात!

देश की धड़कन थमी "देव" है,  न उर्जा संचार!
सत्ताधारी दमन कर रहे, जनता का अधिकार!

नेताओं ने बदले चेहरे, नियत वही पुरानी!
एक दिवस की आजादी थी, आई वही गुलामी!"


"१५ अगस्त की आजादी हमने जी ली! जमकर नारे लगा लिए, फिर गुलामी आ गयी है, क्यूंकि हमने देश से कभी उस तरह प्रेम ही नहीं किया, जैसे माँ के साथ करते हैं! जैसे प्रेयसी के साथ करते हैं! तो चलो हम सबको फिर से गुलामी मुबारक- चेतन रामकिशन "देव"

♥सोच का परिवर्तन ♥


"♥♥♥♥♥♥सोच का परिवर्तन ♥♥♥♥♥♥
मन में अपने प्रेम रखो तुम, होठों पे मुस्कान!
आगे बढ़ने से पहले पर, त्याग चलो अभिमान!
साहस को जीवन में भरके, सच्चाई के साथ,
मजहब से ऊपर उठकर के, बनो जरा इंसान!

नैतिकता और मर्यादा का कभी न करना ह्रास!
ना कमजोरी लाना मन में, ना टूटे विश्वास!

सबको अपने गले लगाओ, सबको दो सम्मान!
मन में अपने प्रेम रखो तुम, होठों पे मुस्कान...............

जीवन में मुश्किल से डरकर, ना होना भयभीत!
कदम बढ़ाना सही दिशा में, मिलेगी तुमको जीत!
किसी के घावों पर मरहम का तुम कर देना लेप,
पत्थर में भी जग जाएगी, मानव जैसे प्रीत!

कभी उड़ाना ना निर्धन का, तुम मित्रों उपहास!
नहीं कोई ऊँचा नीचा है, सब अपने हैं खास!

मानवता का कभी ना करना तुम कोई अपमान!
मन में अपने प्रेम रखो तुम, होठों पे मुस्कान............

मृत्य का भय करना छोड़ो, ना मानो तुम हार!
खुद तुममें ईश्वर रहता है, तुम हो रचनाधार!
"देव" जगाओ अपने मन में तुम चिंतन की सोच,
ऐसा एक इतिहास बनाओ, याद करे संसार!

सच्चाई के दम के आगे तो झुकता आकाश!
आओ करें हम इस जीवन में एक ऐसा प्रकाश!

इन शब्दों से आप सभी का करता हूँ आह्वान!
मन में अपने प्रेम रखो तुम, होठों पे मुस्कान!"


"जीवन, महज जीने का नाम नहीं है! बल्कि कुछ कर दिखाने का, इतिहास बनाने का नाम है! एक दूजे से प्रेम करने का नाम है! तो आइये सोच का परिवर्तन करें!-चेतन रामकिशन "देव"


♥फौजी(सच्चा पहरेदार) ♥



"♥♥♥♥♥♥फौजी(सच्चा पहरेदार) ♥♥♥♥♥♥
"देश का फौजी मेरे देश का सच्चा पहरेदार!
वो करता है शत्रु पर बिजली बनकर प्रहार!
देश की शान खातिर वो दे देता अपनी जान,
शीश झुकाकर जीने से तो, मौत उसे स्वीकार!

फौजी रातों को जगता है, तब हम लें आराम!
फौजी तुझको नमन है मेरा, है मेरा प्रणाम!

फौजी करता माँ जननी के मस्तक पर श्रंगार!
देश का फौजी मेरे देश का सच्चा पहरेदार........

लेह का दुर्गम स्थल हो या देश की सीमा रेखा!
फौजी डटकर खड़ा रहा है, अपना दुःख न देखा!
पानी के भीतर से भी करता है पहरेदारी,
और गगन में उड़कर उसने, इस भूमि को देखा!

कड़क धूप की अग्नि हो या हो फिर शीतल सर्दी!
नहीं थकी है भूख प्यास से, एक फौजी की वर्दी!

फौजी हम सब पर करता है, जीवन भर उपकार!
देश का फौजी मेरे देश का सच्चा पहरेदार........

देश का फौजी अपना गौरव, अपना स्वाभिमान!
आओ करें हम सब फौजी का प्रेम भरा सम्मान!
"देव" तुल्य होता है फौजी, रक्षित करता प्राण,
इस फौजी ने ही रखी है , माँ जननी की आन!

माँ जननी भी फौजी पर ही करती है विश्वास!
इस फौजी ने कभी न तोड़ी, माँ जननी की आस!

तिलक लगाकर हम फौजी का करें चलो सत्कार!
देश का फौजी मेरे देश का सच्चा पहरेदार!"

"फौजी- देश की धड़कन ही हैं! सीमा पर जब ये जागते हैं तब देश सोता है! सच में लाल बहादुर जी ने सच ही कहा था कि, जय जवान! जय किसान! तो आइये हम भी फौजी को सम्मान दें! -चेतन रामकिशन "देव"