Wednesday, 25 April 2012

♥उल्फ़त के दीपक.


♥♥♥उल्फ़त के दीपक.♥♥♥

आओ उल्फ़त के दीपक जला दो जरा!
आओ तुम नफरतों को भुला दो जरा!

हाथ में हाथ लेकर, मोहब्बत के संग,
तुम दिलों को दिलों से, मिला दो जरा!

ख़ार नफरत के तो बस बहाते लहू,
तुम गुलाबों के उपवन खिला दो जरा!"

..."शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"..

♥कलमकार....♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥कलमकार....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कलम उठाकर लिखें चलो हम, सुन्दर-२ मनोभावों को!
कलम उठाकर लिखें चलो हम, सच्चाई के प्रभावों को!
कलमकार बनना है हमको, जात-धर्म से ऊपर उठकर,
कलम उठाकर लिखें चलो हम, गंगा जमुनी सद्भावों को!"
........"संध्या-प्रणाम"....चेतन रामकिशन "देव"..........