♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दस्तक...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दरवाजे पे प्यार की दस्तक, आँगन में खुश्बू लाती है।
तुम्हे देखकर मन खुश होता, छवि तेरी मुझको भाती है।
तेरी मीठी बोली सुनकर, अधरों पे घुल जाये शहद सा,
तू हंसती है तो लगता है, सारी दुनिया मुस्काती है।
सूरत तेरी चंदा जैसी, खिली धुप सा मन तन लगता है।
तेरे होने से ही थल पे, फूलों का उपवन खिलता है।
तुम जगतीं मेरे ख्वाबों में, जब ये दुनिया सो जाती है।
दरवाजे पे प्यार की दस्तक, आँगन में खुश्बू लाती है...
तुम चंदन सी पावन चिंतक, मेरी कविता बन जाती हो।
यदि शरारत करता हूँ तो, लाज हया से सकुचाती हो।
"देव" तुम्हारा संग संग चलना, मेरा रस्ता आसां करता,
मुझसे कोई गलती हो तो, भोलेपन से समझाती हो।
नाम तुम्हारा सुनता हूँ तो, मेरा चेहरा खिल जाता है।
सखी तुम्हारे रूप में मुझको, स्वर्ग धरा पे मिल जाता है।
नहीं तनिक भी अच्छा लगता, दूर जो मुझसे तू जाती है।
दरवाजे पे प्यार की दस्तक, आँगन में खुश्बू लाती है। "
......................चेतन रामकिशन "देव"….................
दिनांक-१२.०२.२०१४