Wednesday, 3 October 2012




♥♥♥♥♥♥♥बनावटी चेहरे..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आजकल रूह के रिश्ते की बात क्या करनी,
लोग तो पल में मोहब्बत को, भुला देते हैं!

आजकल देखिये ज़माने का ये हाल हुआ,
घर के मुखिया ही, आज घर को जला देते हैं!

जिन पर रखो यकीन, अर्श पे ले जाने का,
लोग वो देखिये, मिटटी में मिला देते हैं!

जो किये करते हैं, दावे यहाँ अपनेपन के,
लोग वो नींव ईमारत की हिला देते हैं!

"देव" शायद यही दस्तूर है मोहब्बत का,
बेवफा लोग ही, वफ़ा का सिला देते हैं! "

............चेतन रामकिशन "देव"...........