Wednesday, 15 April 2015

♥♥हरफ़...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥हरफ़...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
है मुझसे इस कदर नफ़रत, कभी ये बोल तो देते। 
छुपाया राज क्यों दिल में, कभी तुम खोल तो देते। 

बड़ा ही बेरहम होकर, मेरी सांसों को रोका था,
घुटन मैं हूँ जरा तुम कब्र का, मुंह खोल तो देते। 

वो जिनसे था तुम्हें मतलब, अशरफ़ी उनको दे डालीं,
किसी मुफ़लिस की मेहनत का, कभी तुम मोल तो देते।

तुम्हारा रूप चन्दन था, तेरी खुशबु भी प्यारी थी,
महक तुम प्यार की, सांसों में मेरी घोल तो देते।

नहीं कहना मुझे कुछ "देव", मैं खामोश हूँ बेहतर,
जुबां मिल जाती मुझको भी, हरफ़ तुम बोल तो देते। "

………........चेतन रामकिशन "देव"….................
दिनांक-१६.०४.२०१५ (CR सुरक्षित )