Tuesday, 16 September 2014

♥♥माँ का ख़त..♥♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ का ख़त..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
माँ की ममता में प्यार है कितना, ख़त मेरी माँ का ये बताता है!
माँ के शब्दों को सौंपकर मुझको, माँ के एहसास से मिलाता है!
मेरे चोखट पे एक दस्तक दे, पास अपने मुझे बुलाता है!
न गलत काम तुम कभी करना, माँ की तरह मुझे सिखाता है!

हर घड़ी साथ मेरे रहता है, माँ न भेजा मेरा हिफाज़त को। 
माँ की तरह ही माफ़ करता है, मेरी छोटी बड़ी शरारत को!

दूर रहती है मेरी माँ मुझसे, खत मगर उसको पास लाता है!
माँ की ममता में प्यार है कितना, ख़त मेरी माँ का ये बताता है!

माँ के शब्दों के नूर से हर पल, मेरे संग साथ में उजाला है!
यूँ तो रिश्ते हजार हैं लेकिन, माँ का एहसास ही निराला है!
अपने बच्चों की राह की कांटे, माँ ही हंसकर के सिर्फ चुनती है!
अपने सब काम छोड़कर माँ ही, अपने बच्चों का दर्द सुनती है!

माँ की प्यारी सी ये छुअन पाकर, देखो फूलों का रंग खिलता है!
पैसे, रूपये से और दौलत से, न कहीं प्यार माँ का मिलता है!

याद में माँ की रो पड़ी आँखें, ख़त मुझे देखो चुप कराता है! 
माँ की ममता में प्यार है कितना, ख़त मेरी माँ का ये बताता है!

माँ ने मंजिल की ओर जाने को, माँ ने मुझको बहुत पढ़ाने को!
अपने आपे से दूर भेजा है, ख्वाब मेरे सभी सजाने को!
"देव" जब माँ की याद आती है, खत यही खोलकर के पढ़ता हूँ!
माँ ने सिखलाया अग्रसर होना, अपनी मंजिल की ओर बढ़ता हूँ!

माँ की आँखों में एक चमक होगी, मेरे सपनों में जब गति होगी!
अपनी ममता पे गर्व होगा उसे, जब कभी मेरी प्रगति होगी!

माँ के आँचल की याद आने पर, ख़त मुझे हौले से सुलाता है!
माँ की ममता में प्यार है कितना, ख़त मेरी माँ का ये बताता है! "

"
माँ-एक ऐसा व्यक्तित्व जिसकी उपमा/तुलना/पर्याय अगर है तो वो माँ ही है, माँ की ममता से भरा दिल भले ही अपनी संतान को, कुछ समय के लिए आँखों से दूर करता है, मगर वो हर घडी, हर पल अपनी संतानों के लिए धड़कता है, तो आइये ऐसे किरदार माँ को हृदय से प्रणाम करें।  "

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-17.09.2014 

" अपनी दोनों प्रिय माताओं को समर्पित रचना।"