Thursday 1 December 2011

♥♥तुम्हारी छवि ♥♥♥

"♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम्हारी छवि ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
छवि तुम्हारी है इतनी सुन्दर, के जैसे खिलता सुमन हो कोई!
तुम्हारा मन है विशाल इतना, के जैसे अम्बर-गगन हो कोई!
नयन तुम्हारे हैं इतने प्यारे, के उनकी उपमा क्या कर सकूँ मैं,
तुम्हारी बोली है इतनी प्यारी, के कोकिला को जलन हो कोई!"

..................चेतन रामकिशन "देव"..............................