"♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम्हारी छवि ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
छवि तुम्हारी है इतनी सुन्दर, के जैसे खिलता सुमन हो कोई!
तुम्हारा मन है विशाल इतना, के जैसे अम्बर-गगन हो कोई!
नयन तुम्हारे हैं इतने प्यारे, के उनकी उपमा क्या कर सकूँ मैं,
तुम्हारी बोली है इतनी प्यारी, के कोकिला को जलन हो कोई!"
..................चेतन रामकिशन "देव"..............................
छवि तुम्हारी है इतनी सुन्दर, के जैसे खिलता सुमन हो कोई!
तुम्हारा मन है विशाल इतना, के जैसे अम्बर-गगन हो कोई!
नयन तुम्हारे हैं इतने प्यारे, के उनकी उपमा क्या कर सकूँ मैं,
तुम्हारी बोली है इतनी प्यारी, के कोकिला को जलन हो कोई!"
..................चेतन रामकिशन "देव"..............................