Saturday, 2 November 2013

♥मक़सद सिर्फ उजाले का हो...

♥♥♥♥मक़सद सिर्फ उजाले का हो...♥♥♥♥♥
दीप जलें या सीने का दिल, मक़सद सिर्फ उजाले का हो!
न झगड़ा हो जात-मजहब का, न गोरे, न काले का हो!

काश दीवाली के मौके पर, कंडीलों से वो घर दमकें,
अब तक जिस आंगन से नाता, बस मकड़ी के जाले का हो!

एक दूजे से प्यार करें सब, नहीं सियासत आग लगाये,
नहीं धार हो तलवारों में , न प्रशिक्षण भाले का हो!

एक दिन मेहनत रंग लाएगी, नहीं इरादे डिगने देना,
खुद से ज्यादा यकीं कभी न, इस किस्मत के ताले का हो!

"देव" मुझे होली, दीवाली, ईद, दशहरा तब भायेगा,
जब खुद की पीड़ा से पहले, दुख मुफलिस के छाले का हो! "

...................…चेतन रामकिशन "देव"….....................
दिनांक-०३.११.२०१३

♥♥प्रेम का प्रभुत्व.♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥प्रेम का प्रभुत्व.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दीप की ज्योति में अब तो, तेरा ही प्रभुत्व है! 
मेरे जीवन का सखी अब, तुझसे ही अस्तित्व है!

तुझको सुनकर मन भरे न, रात दिन सुनता रहूँ!
अपनी आँखों में तेरे बस, स्वप्न मैं बुनता रहूँ!
ओस की बूंदों से तेरा, नाम लिखकर हाथ पर!
तुझको देखूं सुबह उठकर, तुझको सोचूं रात भर! 

तुझसे ही जीवन में मेरे, फूल का ये सत्व है!
दीप की ज्योति में अब तो, तेरा ही प्रभुत्व है ....

आगमन जब से तुम्हारा, मेरे आंगन में हुआ है!
तब से हर दिन मेरा जीवन, प्रेम से पूरित हुआ है!
मैं तुम्हारे हाथ छू लूँ, जिस घड़ी जिस रोज भी,
ऐसा लगता है के रेशम, मैंने हाथों से छुआ है!

तुमसे ही सम्बन्ध मन का, तुमसे ही अपनत्व है!
दीप की ज्योति में अब तो, तेरा ही प्रभुत्व है! 

तेरा ये सानिध्य पाकर, मेरे मन में हर्ष है!
ये दीवाली है निराली, चांदनी का दर्श है!
"देव" तुमसा प्यारा कोई सारे जग में है नहीं,
तू ही मेरी प्रेरणा है, तू मेरा आदर्श है!

तू ही मेरी आत्मा के, प्रेम के अमरत्व है!
दीप की ज्योति में अब तो, तेरा ही प्रभुत्व है!"

..........…चेतन रामकिशन "देव"….............
दिनांक-०२.११.२०१३

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