♥♥♥♥♥♥♥♥अपनी वफ़ा..♥♥♥♥♥♥♥♥
कोई दे न दे वफ़ा, खुद तो वफादार बनो!
किन्हीं बेचैन निगाहों का तुम करार बनो!
एक दिन वो भी अपने जुर्म पे पछतायेंगे,
न कभी उनकी तरह, तुम भी गुनाहगार बनो!
अपने माँ बाप को भी, तुम जो बताओ नौकर,
जिंदगी में न कभी, ऐसे मालदार बनो!
जिनकी आँखों में नहीं प्यार की कीमत कोई,
ऐसे इंसानों के हरगिज न तलबगार बनो!
"देव" एक दिन ये दरिन्दे सभी मिट जाएंगे,
ऐसे लोगों के लिए, जंग की ललकार बनो!"
...............चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-१८.०१.२०१३