Thursday 21 June 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥क्रांति लानी होगी...♥♥♥♥♥♥♥♥
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!
इन सबके हाथों से पाए, ज़ख्म हमे भरने ही होंगे!
यदि न अपनी चुप्पी तोड़ी, तो शोषण भी नहीं रुकेगा,
शोषण से मुक्ति पाने को, युद्ध, जंग करने ही होंगे!

पूंजीपतियों के संग देखो, मिली भगत करती सरकारें!
जनता के संग लूट-पाट की, रोज जुगत करती सरकारें!

अपने ही हाथों से हमको, अपने दुख हरने ही होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे........

देश के नेता लूट रहे हैं, हर मद में घोटाला करते!
निर्धन को अँधेरा देकर, अपने यहाँ उजाला करते!
जनता के दुख दर्द से इनको, कोई मतलब नहीं रहा है,
अपनी करतूतों से नेता, देश के मुंह को काला करते!

जिस धरती पे जन्म लिया है, उसका ही सौदा करते हैं!
देश के ये खद्दरधारी बस, अपनी ही झोली भरते हैं!

हमको इन नेताओं के अब, मुंह काले करने ही होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!

चलो याचना करने की नीति का, मन से त्याग करो तुम!
अपने मन में साहस वाली, जिन्दा जलती आग भरो तुम!
"देव" जरा तुम अपने मन को, चलो जरा बलवान बनाओ,
अपने सुप्त ह्रदय से लोगों, निंद्रा का परित्याग करो तुम!

चलो जरा हम इनसे अपने, अधिकारों की जंग लड़ेंगे!
रणभूमि में मरते दम तक, शीश हमारे नहीं झुकेंगे!

तीन रंगों के आंचल हमको, आज़ादी से भरने होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!"


" देश में सत्ताधारियों ने जनता के विकास का रास्ता त्यागकर, अपने पथों में पुष्प बिछाने का कार्य करना शुरू कर दिया है! बेबस जनता सड़कों पर भूखे पेट सो रही है तो किसान क़र्ज़ में डूबकर आत्महत्या कर रहा है! बेरोजगार युवक, नौकरी न मिलने की कुंठा में फंसी पर झूल रहे हैं, जागना होगा इस नींद से, करना होगा युद्ध इनसे जो उन अंग्रेजों से ज्यादा दमनकारी और घातक है!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२२.०६.२०१२

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