Saturday 12 May 2012

♥♥प्रतीक्षा की पीड़ा.♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रतीक्षा की पीड़ा.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ, सखी सुबह की प्रथम किरण से!
हमारी मूरत भी घिस रही है, दुखों की वायु के इस क्षरण से!
तुम्हारे बिन लगते हैं अधूरे, मेरा दिवस और सखी निशा भी,
सखी तुम आकर के शीघ्रता से, जरा बचा लो हमे मरण से!"

......................चेतन रामकिशन "देव".......................