Saturday, 22 December 2012

♥अजनबी मोहब्बत..♥


♥♥♥♥♥अजनबी मोहब्बत..♥♥♥♥♥♥
जिसके प्यार से मैंने घर महकाया था!
जिसकी खातिर सपना नया सजाया था!
आज वही इन्सान अजनबी बनता है,
जिसने अपने दिल में मुझे वसाया था!

शीशमहल के सारे शीशे टूट गए,
ताजमहल का रंग भी फीका लगता है!

सारी दुनिया सो जाती है पर लेकिन,
रात रात भर मेरा ये दिल जगता है!

रूह का रिश्ता पल भर में खामोश किया,
प्यार यहाँ बस मुझे किताबी लगता है!

चुभन दर्द की इतनी ज्यादा है यारों,
साँस भी तो लूँ मानो, खंजर चुभता है!

आज उसी ने "देव" अँधेरा बख्शा है,
जिसने मेरे घर में दीप जलाया था!
आज वही इन्सान अजनबी बनता है,
जिसने अपने दिल में मुझे वसाया था!"

..........चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-२२.१२.२०१२