♥♥♥♥♥♥♥♥जुगनू..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
वक़्त के साथ कोई दांव, नया चलते हैं!
हम वो जुगनू हैं जो, दीपक की तरह जलते हैं!
ये यकीं है मेरा, तुम इसको न गुरुर कहो,
हम तो गम सहके भी, फूलों की तरह खिलते हैं!
गैर तो गैर हैं, मैं उनसे क्या शिकवा रखूं,
लोग अपने भी, रकीबों की तरह मिलते हैं!
लोग आते हैं बहुत, देखने हुनर मेरा,
हम जो हाथों से अपने, ज़ख्म कभी सिलते हैं!
आदमी तो बहुत हैं "देव", मगर इन्सां कम,
बड़ी मुश्किल से यहाँ, नेक बशर मिलते हैं!"
...........चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-०६.०९.२०१३
वक़्त के साथ कोई दांव, नया चलते हैं!
हम वो जुगनू हैं जो, दीपक की तरह जलते हैं!
ये यकीं है मेरा, तुम इसको न गुरुर कहो,
हम तो गम सहके भी, फूलों की तरह खिलते हैं!
गैर तो गैर हैं, मैं उनसे क्या शिकवा रखूं,
लोग अपने भी, रकीबों की तरह मिलते हैं!
लोग आते हैं बहुत, देखने हुनर मेरा,
हम जो हाथों से अपने, ज़ख्म कभी सिलते हैं!
आदमी तो बहुत हैं "देव", मगर इन्सां कम,
बड़ी मुश्किल से यहाँ, नेक बशर मिलते हैं!"
...........चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-०६.०९.२०१३