Wednesday, 9 October 2013

♥♥गुनाहों से तौबा..♥♥

♥♥♥♥♥गुनाहों से तौबा..♥♥♥♥♥♥♥
के सीने में अपने सिसकता हुआ दिल,
के देखा है हमने निगाहों से अपनी!

बुरे वक़्त में दूर जाते हुए मैंने,
देखा है अपनों को राहों से अपनी!

यहाँ लोग इंसानियत को ही देखो,
जुदा कर रहे हैं पनाहों से अपनी!

उन्हें बस फ़िक्र है के अपनी ख़ुशी की,
के मैं हूँ परेशां कराहों से अपनी!

मगर जिंदगी है खुदा की अमानत,
इसी अपने हाथों से ठुकराऊं कैसे!

के मैं पत्थरों की तरफ देखकर के,
के दिल अपना पत्थर बनाऊं भी कैसे!

के मैं आदमी हूँ, के वो आदमी हैं,
तो फिर मैं जहाँ को सताऊं भी कैसे!

नहीं "देव" मेरी तड़प से जो मतलब,
तो मैं दर्द दिल का बताऊँ भी कैसे!

कभी तो बुरा वक़्त मेरा ढलेगा,
वो तौबा करेंगे गुनाहों से अपनी!

के सीने में अपने सिसकता हुआ दिल,
के देखा है हमने निगाहों से अपनी!"

.....चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-१०.१०.२०१३

♥♥आँखों में चाँद ...♥♥

♥♥♥आँखों में चाँद ...♥♥♥♥♥♥
फिर नया ख्वाब नजर आया है!
चाँद आँखों में उतर आया है!

हर तरफ है नया उजाला सा,
नूर धरती पे बिखर आया है!

मुस्कराहट है मेरे चेहरे पर,
प्यार का जब से असर पाया है!

आंख में देखो एक नमी आई,
किसी बिछड़े ने जो घर पाया है!

जब से अश्कों की स्याही से लिखा,
तब से हर लफ्ज निखर आया है!

लोग देते हैं यहाँ दाद मुझे,
मैंने हंसने का हुनर पाया है!

"देव" बस तुझको देखता ही रहूँ,
आज ये वक़्त ठहर आया है!"

.....चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-०९.१०.२०१३

♥♥खून ...♥♥

♥♥♥♥♥खून ...♥♥♥♥♥
खून रिसता है मेरे घावों से,
कोई मरहम, दवा लगाता नहीं!

सब चुभाते हैं गम के ख़ार मुझे,
कोई राहों में गुल बिछाता नहीं!

रात दिन जिसको अपना समझा है,
वही अब प्यार को निभाता नहीं!

जिसको देखो वही तमाशाई,
लुटती इज्ज़त कोई बचाता नहीं!

चोट इतनी लगी है इस दिल को,
चाहके भी मैं मुस्कुराता नहीं!

एक दिन सबकी वापसी होगी,
कोई सदियों के लिए आता नहीं!

"देव" बस दर्द का ही सूरज है,
छाँव का चाँद झिलमिलाता नहीं!"

...चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-०९.१०.२०१३