Wednesday, 9 October 2013

♥♥खून ...♥♥

♥♥♥♥♥खून ...♥♥♥♥♥
खून रिसता है मेरे घावों से,
कोई मरहम, दवा लगाता नहीं!

सब चुभाते हैं गम के ख़ार मुझे,
कोई राहों में गुल बिछाता नहीं!

रात दिन जिसको अपना समझा है,
वही अब प्यार को निभाता नहीं!

जिसको देखो वही तमाशाई,
लुटती इज्ज़त कोई बचाता नहीं!

चोट इतनी लगी है इस दिल को,
चाहके भी मैं मुस्कुराता नहीं!

एक दिन सबकी वापसी होगी,
कोई सदियों के लिए आता नहीं!

"देव" बस दर्द का ही सूरज है,
छाँव का चाँद झिलमिलाता नहीं!"

...चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक-०९.१०.२०१३


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