Tuesday, 5 June 2012

♥माँ का दिल..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ का दिल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
माँ के दिल को छलनी करके, नहीं चैन से जी सकते हो!
पश्चाताप की सुईं से भी, ज़ख़्म नहीं तुम सी सकते हो!

माँ अपनी संतानों को न, भेद-भाव की सोच सिखाती!
हों संतान भले कितनी पर, माँ तो सबको गले लगाती!
माँ की प्यार भरी ममता तो, होती है निश्चल पावन सी,
माँ अपने नन्हें से दिल से, दुनिया भर का प्यार लुटाती!

माँ की तरह तुम आंसू के, सागर को न पी सकते हो!
माँ के दिल को छलनी करके, नहीं चैन से जी सकते हो!"

....."शुभ-दिन".............चेतन रामकिशन "देव"..........

♥पिता( स्नेह के पोषक)♥


♥♥♥♥♥♥♥♥पिता( स्नेह के पोषक)♥♥♥♥♥♥♥
पिता कर्तव्य के पालक, पिता स्नेह के पोषक!
पिता अपने शिशु के दर्द के, आंसू के अवशोषक!

है माँ अनमोल तो देखो, पिता भी कम नहीं होते!
हाँ सच है हर घड़ी कर्तव्य, उनके सम नहीं होते!

पिता होते दयालु हैं, नहीं होते कभी शोषक!
पिता कर्तव्य के पालक, पिता स्नेह के पोषक!"

..............चेतन रामकिशन "देव".....................