♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ का दिल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
माँ के दिल को छलनी करके, नहीं चैन से जी सकते हो!
पश्चाताप की सुईं से भी, ज़ख़्म नहीं तुम सी सकते हो!
माँ अपनी संतानों को न, भेद-भाव की सोच सिखाती!
हों संतान भले कितनी पर, माँ तो सबको गले लगाती!
माँ की प्यार भरी ममता तो, होती है निश्चल पावन सी,
माँ अपने नन्हें से दिल से, दुनिया भर का प्यार लुटाती!
माँ की तरह तुम आंसू के, सागर को न पी सकते हो!
माँ के दिल को छलनी करके, नहीं चैन से जी सकते हो!"
....."शुभ-दिन".............चेतन रामकिशन "देव"..........
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