Sunday, 17 March 2013

♥♥प्रेम का समर्थन..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम का समर्थन..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
समर्थन प्रेम का चाहूं, नहीं हिंसा की ख्वाहिश है!
नहीं हसरत है दौलत की, नहीं धन की सिफारिश है!
सभी के दिल में उल्फ़त का, सुनहरा नूर जग जाए,
यही कुदरत से विनती है, यही मेरी गुजारिश है!

ये नफरत का जहर, पोषण किसी का कर नहीं सकता!
किसी मानव के घावों को, कभी ये भर नहीं सकता!

कभी गैरों से रंजिश हो, कभी अपनों की साजिश है!
समर्थन प्रेम का चाहूं, नहीं हिंसा की ख्वाहिश है....

किसी को लूटकर, बेशक के राजा बन तो जाओगे!
मगर अपनी निगाहों से, नजर कैसे मिलाओगे!
अदालत तुमको दुनिया की, भले ही माफ़ कर दे पर,
मगर तुम अपने जुर्मों को, यहाँ कैसे भुलाओगे!

यहाँ वो लोग ही मरकर के, हर पल याद आते हैं!
जो अपने लोभ में देखो, नहीं जग को सताते हैं!

जहाँ है "देव" मानवता, वहां खुशियों की बारिश है!
समर्थन प्रेम का चाहूं, नहीं हिंसा की ख्वाहिश है!"

.................चेतन रामकिशन "देव"...............
( १८.०३.२०१३)

♥♥गहरा समुन्दर..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥गहरा समुन्दर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
समुन्दर हो भले गहरा, किनारा मिल ही जाता है!
मेरी माँ की दुआओं से, सहारा मिल ही जाता है!

कभी दिल की निगाहों से, जरा देखो तो अम्बर में,
यहाँ तकदीर का अपनी, सितारा मिल ही जाता है!

भले है भीड़ गैरों की, भले रंजिश हजारों हैं,
मगर फिर भी कोई, फूलों सा प्यारा मिल ही जाता है!

कभी हारो नहीं हिम्मत, न खुद को लड़खड़ाने दो,
यहाँ मेहनत से खुशियों का, नजारा मिल ही जाता है!

हमेशा दर्द को अपने, बड़ा तुम "देव" न समझो,
सभी की आंख में आंसू, ये खारा मिल ही जाता है!"

...................चेतन रामकिशन "देव".................
( १७.०३.२०१३)