Saturday, 7 July 2012

♥दिल का कागज़..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल का कागज़..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हम अपने दिल के कागज़ पर, अनुभूति के पल लिखते हैं!
कभी हंसी लिखते चेहरे की, कभी नयन का जल लिखते हैं!

जो लेखक अपने शब्दों से, भेदभाव की महिमा गाते!
जो लेखक अपने शब्दों से, बस हिंसा का पाठ पढ़ाते!
ऐसे लेखक सारा जीवन, रहते हैं बस अंधकार में,
जो लेखक अपने शब्दों से, मानवता के दीप बुझाते!

हम लिखते हैं समरसता को, न दंगा, न छल लिखते हैं!
हम अपने दिल के कागज़ पर, अनुभूति के पल लिखते हैं!"

..........."शुभ-दिन".......चेतन रामकिशन "देव"...........

♥तुम ही तुम...♥


 ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तुम ही तुम...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम इच्छा हो, तुम आशा हो, तुम जीवन की अभिलाषा हो!
 तुम मेरे शब्दों की क्षमता, तुम शब्दों की परिभाषा हो!

तुम उपवन हो, तुम यौवन हो, जीवन का संगीत तुम्ही हो!
तुम ही साहस, तुम ही यश हो, और हमारी जीत तुम्ही हो!
तुम वंदन में, अभिनन्दन में, तुम ही मेरी अनुभूति में,
तुम ही कविता, तुम ही लेखन, और कंठ का गीत तुम्ही हो!

तुमसे सब कुछ सीख रहा हूँ, तुम ही मेरी जिज्ञासा हो!
तुम मेरे शब्दों की क्षमता, तुम शब्दों की परिभाषा हो!"


.........................चेतन रामकिशन "देव"...........................