♥♥♥♥♥♥♥दूरियां....♥♥♥♥♥♥♥♥
क्या मिलेगा जो दूर जाओगे।
मुझको किस तरह से भुलाओगे।
धूप जब तेज हो जलायेगी,
मेरे साये को ही बुलाओगे।
अपनी गलती का इल्म होगा जब,
शर्म से सर को तुम झुकाओगे।
मेरी मिन्नत को तुमने ठुकराया,
कैसे मंजर वो भूल पाओगे!
मेरी बर्बादी का सबब तुमसे,
रूह से अपनी क्या छुपाओगे।
आंच का तुमपे भी असर होगा,
मेरी यादों को जो जलाओगे।
"देव" ये प्यार न रुका अब तक,
ख़ाक तुम इसको रोक पाओगे। "
.........चेतन रामकिशन "देव"……|
दिनांक- १४.१०.२०१४
क्या मिलेगा जो दूर जाओगे।
मुझको किस तरह से भुलाओगे।
धूप जब तेज हो जलायेगी,
मेरे साये को ही बुलाओगे।
अपनी गलती का इल्म होगा जब,
शर्म से सर को तुम झुकाओगे।
मेरी मिन्नत को तुमने ठुकराया,
कैसे मंजर वो भूल पाओगे!
मेरी बर्बादी का सबब तुमसे,
रूह से अपनी क्या छुपाओगे।
आंच का तुमपे भी असर होगा,
मेरी यादों को जो जलाओगे।
"देव" ये प्यार न रुका अब तक,
ख़ाक तुम इसको रोक पाओगे। "
.........चेतन रामकिशन "देव"……|
दिनांक- १४.१०.२०१४