♥♥♥♥♥♥♥अमानत...♥♥♥♥♥♥♥
प्यार की तेरे जो अमानत है।
मुझपे कुदरत कि ये इनायत है।
तुमको पाकर के मिल गया है सुकूं,
न ही शिकवा है, न शिकायत है।
तुझको छूने की भी हुयी ख्वाहिश,
चूम लूँ तुमको क्या इजाजत है।
तेरी ज़ुल्फ़ें छुपायें चेहरे को,
कितनी मासूम ये शरारत है।
तुम दुआओं में, हो मेरी शामिल,
तुझको चाहना मेरी इबादत है।
"देव" आ जाओ मुझसे मिलने को,
सिर्फ तुमसे ही दिल को राहत है। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-२७.११.२०१५
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