Saturday 28 November 2015

♥♥देश टुकड़ों में...♥♥

♥♥♥♥♥देश टुकड़ों में...♥♥♥♥♥♥
देश टुकड़ों में बंट रहा फिर से। 
आपसी प्यार घट रहा फिर से। 

जिसकी छाँव में कोई फर्क नहीं,
पेड़ वो आज कट रहा फिर से। 

दिन दहाड़े भी अब सताये डर,
नाम इज़्ज़त का लुट रहा है फिर से। 

न बुरे वक़्त में कोई आया,
झुंड झूठों का छंट रहा फिर से। 

तोड़ना चाहें, कोई जोड़े नहीं,
हर कोई रंज रट रहा फिर से। 

लफ्ज़ जो दूरियां बढ़ाने लगें,
हर कोई उनपे डट रहा फिर से। 

"देव" इंसानियत बचेगी कहाँ,
बम ये नफरत का फट रहा फिर से। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-२८.११.२०१५ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। " 

Friday 27 November 2015

♥♥अमानत...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥अमानत...♥♥♥♥♥♥♥
प्यार की तेरे जो अमानत है। 
मुझपे कुदरत कि ये इनायत है। 

तुमको पाकर के मिल गया है सुकूं,
न ही शिकवा है, न शिकायत है। 

तुझको छूने की भी हुयी ख्वाहिश,
चूम लूँ तुमको क्या इजाजत है। 

तेरी ज़ुल्फ़ें छुपायें चेहरे को,
कितनी मासूम ये शरारत है। 

तुम दुआओं में, हो मेरी शामिल,
तुझको चाहना मेरी इबादत है। 

"देव" आ जाओ मुझसे मिलने को,
सिर्फ तुमसे ही दिल को राहत है। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-२७.११.२०१५ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "

Thursday 26 November 2015

♥आलम...♥

♥♥♥♥♥♥आलम...♥♥♥♥♥♥♥
मुल्क का आज कैसा आलम है। 
देखो जिस ओर भी नया ग़म है। 

आदमी होके आदमी में फरक,
आज इंसानियत बड़ी कम है। 

मुफ़लिसी का मैं दर्द कैसे लिखूं,
पेट भूखा है और नही दम है। 

रात भर जागके गुजारा करूँ,
तेरे जाने से आँख ये नम है। 

मेरे अरमानों का गला घोंटा,
तू भी कातिल से अब कहाँ कम है। 

है दवा महंगी कैसे होगी शिफ़ा,
साथ बीमारियों का मौसम है। 

"देव" तकदीर है या दुश्वारी,
मुझको पानी नहीं, उन्हें रम है। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-२७.११.२०१५   
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "  

Friday 20 November 2015

♥लिबास...♥♥


♥♥♥♥♥♥लिबास...♥♥♥♥♥♥♥
रेशमी सा लिबास हो जाओ। 
तुम मेरे पास पास हो जाओ। 

मेरी मुस्कान तुमको मिल जाये,
जब कभी तुम उदास हो जाओ। 

है दुआ मेरी उस खुदा सा ये,
एक तुम मेरे ख़ास हो जाओ। 

जीत की खुशियां हों मुबारक पर,
हार से न हताश हो जाओ। 

इस जनम "देव " तुम हो मेरे मगर,
हर जनम तुम ही काश हो जाओ। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-२०.११.२०१५   
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "

Monday 16 November 2015

♥लौ ...♥

♥♥♥♥♥♥♥लौ ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कोई लौ बनके तुम उजाला करो। 
न ही नफरत से रंग काला करो। 

सारी दुनिया को याद आओगे,
काम ऐसा जरा निराला करो। 

जी रहे जिसमें वो ही पल जीवन,
काम कल पर न कोई टाला करो। 

जिंदगी खुद की बस, नहीं होती,
फ़र्ज़ भी सबका तुम संभाला करो। 

"देव " हर धर्म से जो पावन हैं,
फूल इंसानियत के पाला करो। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-१६.११.२०१५ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "  

Thursday 12 November 2015

♥♥प्रेम के फूल...♥♥

♥♥♥♥♥प्रेम के फूल...♥♥♥♥♥
प्रेम के फूल खिल गये होते। 
हम जो आपस में मिल गये होते। 
आँख पढ़ लेती आँख की भाषा,
होठ बेशक ही सिल गये होते। 

तेरे आने की राह मन में है। 
तुझको पाने की चाह मन में है। 
तुम दवा प्यार की मुझे दे दो,
बिन मिले तुमसे आह मन में है। 

तुम जो मिलते तो आह भी मिटती,
गम के पर्वत भी हिल गये होते। 

प्रेम के फूल खिल गये होते। 
हम जो आपस में मिल गये होते....

मेरे ख़्वाबों की तुम पनाह करो। 
प्यार वाली जरा निगाह करो।  
साथ रहने की आरज़ू दिल में,
प्यार का प्यार से निकाह करो। 

तुम जो छू लो अगर मेरा दामन, 
मेरे सब दाग धुल गए होते। 

प्रेम के फूल खिल गये होते। 
हम जो आपस में मिल गये होते....

तुम से बस इतनी सी गुजारिश है। 
साथ दो आपका, ये ख्वाहिश है। 
"देव " तुम आओगे तो झूमे घटा,
प्यार तेरा ख़ुशी की बारिश है। 

देखकर अपना ये मिलन सब खुश,
बागवां सारे खिल गये होते। 

प्रेम के फूल खिल गये होते। 
हम जो आपस में मिल गये होते। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-१२.११.२०१५ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। " 

Tuesday 10 November 2015

♥झालर ...♥

♥♥♥♥♥झालर ...♥♥♥♥♥♥
हर आँगन में खुशहाली हो। 
ऐसी सबकी दीवाली हो। 
रंग बिरंगी झालर दमकें,
रात नहीं ग़म से काली हो। 

नफरत के शोले बुझ जायें,
चिंगारी तक शेष रहे न। 
मानवता से प्यार करें सब,
किंचित भी आवेश रहे न। 
दीप जलें बस अपनेपन के,
न रंजिश हो, नहीं लड़ाई,
घुल मिल जायें हम आपस में,
बैर तनिक भी, द्वेष रहे न। 

बच्चों की हों नयी शरारत,
गोद किसी की न खाली है। 

रंग बिरंगी झालर दमकें,
रात नहीं ग़म से काली हो। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-१०.११.२०१५  
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "