Friday 26 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल की मुलाकात..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दिल तुमसे मिलना चाहता है, चुपके चुपके तन्हाई में!
धवल चांदनी की रंगत में, शीतल-शीतल पुरवाई में!

तुमसे मिलने की आशा में, दिल की सूरत दमक रही है!
और दिल के आंगन में देखो, मानो कोयल चहक रही है!
जब से इस दिल की आँखों ने, देखा सुन्दर स्वप्न तुम्हारा,
तब से इस दिल की राहों में, मानो चन्दन महक रही है!

दिल तुमको ही देख रहा है, अब तो खुद की परछाई में!
दिल तुमसे मिलना चाहता है, चुपके चुपके तन्हाई में!

दिल कहता अपनी आँखों से, उनके पथ में बिछ जाना है!
वो समझाता है अधरों को, उन्हें देखकर मुस्काना है!
पाठ पढ़ाता है हाथों को, तुम उनका अभिवादन करना,
और वो कहता है कदमों से, तुमको उनके संग आना है!

"देव" भी देखो खड़ा साथ में, दिल की हिम्मत अफजाई में!
दिल तुमसे मिलना चाहता है, चुपके चुपके तन्हाई में!"

.................(चेतन रामकिशन "देव").......................