♥♥♥♥♥♥♥चूल्हे की आग..♥♥♥♥♥♥♥♥
है अँधेरा के चलो तुम, चिराग बन जाओ!
किसी बुझते हुए चूल्हे की, आग बन जाओ!
जो यहाँ लूटते हैं देखो, मुफलिसों का हक,
उनको डस लो के चलो, ऐसे नाग बन जाओ!
भले दो रोटी मिलें, पर कमाओ इज्ज़त से,
ऐसा न हो के, यहाँ काला दाग बन जाओ!
अपने लफ्जों से नहीं, खुद ही फरमाईश हो,
तंग लोगों का जरा तुम, ईजाब* बन जाओ!
"देव" एक दिन उन्हें, हक की लड़ाई आएगी,
तुम जो सोते हुए लोगों की, जाग बन जाओ!"
..............चेतन रामकिशन "देव"................
दिनांक-२०.०७.२०१३
(*-प्रार्थना/प्रस्ताव)
है अँधेरा के चलो तुम, चिराग बन जाओ!
किसी बुझते हुए चूल्हे की, आग बन जाओ!
जो यहाँ लूटते हैं देखो, मुफलिसों का हक,
उनको डस लो के चलो, ऐसे नाग बन जाओ!
भले दो रोटी मिलें, पर कमाओ इज्ज़त से,
ऐसा न हो के, यहाँ काला दाग बन जाओ!
अपने लफ्जों से नहीं, खुद ही फरमाईश हो,
तंग लोगों का जरा तुम, ईजाब* बन जाओ!
"देव" एक दिन उन्हें, हक की लड़ाई आएगी,
तुम जो सोते हुए लोगों की, जाग बन जाओ!"
..............चेतन रामकिशन "देव"................
दिनांक-२०.०७.२०१३
(*-प्रार्थना/प्रस्ताव)