♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥वचन..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दुख में विचलित न होने का, खुद से एक वचन करना है!
जीवन में आगे बढ़ने का, हर क्षण हमें जतन करना है!
रणभूमि में बिन साहस के, नहीं विजय के अवसर आते,
यदि विजेता बनना है तो, भय का हमें दमन करना है!
ये सच है कोई अजेय नहीं, किन्तु जीवन से क्यूँ डरना!
नित जीवन में नए द्रश्य हैं, कभी है सागर, कभी है झरना!
अपने मन की शीतलता से, दुख का ताप शमन करना है!
दुख में विचलित न होने का, खुद से एक वचन करना है...
सदाचार पर बल देना है, अनुशासन को अपनाना है!
प्रेम के सुन्दर फूल खिलाकर, सारे जग को महकाना है!
इस जीवन को "देव" न किन्तु, निहित नहीं बस खुद में करना,
इस दुनिया को सही गलत का, अंतर हमको समझाना है!
विकसित होने की इच्छा में, नैतिकता पे मार न करना!
हिंसा में अंधे होकर के, मानवता पे वार न करना!
जात-धर्म से ऊपर उठकर, मन से यहाँ मिलन करना है!
दुख में विचलित न होने का, खुद से एक वचन करना है!"
......................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-१९.०२.२०१३