♥♥♥♥ढाई अल्फाज मोहब्बत के...♥♥♥♥♥
प्यार करती हो अगर, तो मुझे तुम बतला दो!
ढाई अल्फाज मोहब्बत के, मुझे सिखला दो!
मेरी बेचैनी का आलम, तू जानती है पर,
ये अलग बात है तुम, जानकर के झुठला दो!
बिना तेरे मेरी तन्हाई, सताती है मुझे,
अपनी चाहत से बरफ, दर्द की ये पिघला दो!
हर घड़ी लोग उसे, दिल से गुनगुनायेंगे,
अपने हाथों से ग़ज़ल का, जो जरा मतला दो!
"देव" इंकार का तुम, डूबा चाँद मत देना,
मुझे तुम प्यार की पूनम का, चाँद उजला दो!"
.............चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-१६.०८.२०१३