Sunday, 8 September 2013

♥♥♥तेरी मूरत....♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी मूरत....♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दूर न जाना पल भर को भी, मेरे साथ सदा रहना है!
सखी पूजकर तेरी मूरत, तुझको अपना रब कहना है!
अपने मन के एहसासों में, वसा लिया है तुझको मैंने,
नहीं हमें विरह भावों का, दर्द यहाँ एक पल सहना है!

प्यार भरे ढाई अक्षर से, मन पे तेरा नाम लिखा है!
सखी तेरे पावन चिंतन को, मैंने अपना धाम लिखा है!

नहीं थमेगा प्यार ये अपना, हमको जल बनकर बहना है!
दूर न जाना पल भर को भी, मेरे साथ सदा रहना है…।

सखी प्यार की सुन्दर किरणें, पावन ज्योति के जैसी हैं!
बनें आत्मा का आभूषण, सुन्दर मोती के जैसी हैं!
जब से सखी हमारे मन पर, प्यार भरे बादल छाये हैं!
तब से देखो द्वेष, न इर्ष्या, कभी हमारे घर आये हैं!

सखी प्यार का हम दोनों को, जग में परचम लहराना है!
साथ बहायेंगे हम आंसू, साथ साथ में मुस्काना है!
"देव" कभी जब अपनी आयु, पूरी हो जाये जीवन की,
एक दूजे की खातिर हमको, नया जन्म फिर से पाना है!

सखी तुम्हारे आदर्शों से, मुझको सच को सच कहना है!
दूर न जाना पल भर को भी, मेरे साथ सदा रहना है!"

..................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-०९.०९.२०१३

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प्रेम-एक ऐसा शब्द, जिसमे अपनत्व का सागर छुपा है, प्रेम जिस सम्बन्ध के साथ भी हो, चाहें सखी के संग, चाहें समाज, चाहें परिवार, चाहें मानवता के संग, यदि वो समर्पण भावना से निहित है तो निश्चित रूप से गहरे आत्मिक सुख की अनुभूति देता है, तो आइये समर्पित भावों के साथ प्रेम का विस्तार करें!"

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