Thursday, 11 April 2013

♥♥मेरा वजूद..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेरा वजूद..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मुझको बतलाओ मुझे, कैसे भुलाओगे तुम!
प्यास नजरों की भला, कैसे बुझाओगे तुम!

मेरी उल्फ़त तेरे चेहरे पे, नजर आती है,
मेरी चाहत को यहाँ, कैसे छुपाओगे तुम!

मैं अभी जिंदा हूँ तो, मान भी जाऊंगा मगर,
बाद मरने के मुझे, कैसे मनाओगे तुम!

खून से अपने जो ख़त, मैंने तुम्हे लिखे थे,
हाथ कांपेंगे उन्हें, कैसे जलाओगे तुम!

"देव" ये जिस्म है मिट्टी का, सतालो लेकिन,
रूह से अपनी, नजर कैसे मिलाओगे तुम!"

.............चेतन रामकिशन "देव"..............
दिनांक-११.०४.२०१३