" ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ पश्चिम का तूफान ♥♥ ♥ ♥ ♥ ♥
देश की लाज को मिटा रहा है, पश्चिम का तूफान!
लड़की सर पे आंचल रखना, समझ रही अपमान!
लड़कों ने भी नैतिकता का बंद किया अध्याय,
हवा में उड़ना चाहते जबकि आती नहीं उड़ान!
पश्चिम से हम महज सीखते नंगेपन की सोच!
उनके ज्ञान को अपनाने में करते पर संकोच!
उनको बस भाती है "ब्रिटनी", भूल "मदर" का नाम!
देश की लाज को मिटा रहा है, पश्चिम का तूफान......
नहीं रहें हैं याद "डार्विन" न ही "जेम्स" की याद!
भूल गए हैं "रदरफोर्ड" को, याद नहीं संवाद!
इन लोगों से न हम पाते ज्ञान की निर्मल धार,
क्यूँ फिर देश की संस्कृति को हम करते बर्बाद!
दोहरेपन की सोच बनी है, मन में पलें विकार!
नंगेपन को अपनाते हैं, ज्ञान का कार दुत्कार!
इन लोगों के भूल गए हैं हम तो कर्म महान!
देश की लाज को मिटा रहा है, पश्चिम का तूफान.....
हाँ ये सच है नहीं है सारा इन लोगों को दोष!
मात पिता भी कर्तव्यों का नहीं रख रहे होश!
बैठके अपने लाल के आगे पिता करे मधपान,
बेटी नैतिकता त्यागे पर नहीं है माँ को रोष!
बेटे को "न्यूटन" बनने का नहीं कराते बोध!
"मैडम क्यूरी" बने जो बेटी नहीं हैं वो उद्बोध!
मात पिता की सीख सिखाती इनको झूठी शान!
देश की लाज को मिटा रहा है, पश्चिम का तूफान!"
"दोहरी सोच क्यूँ? बस अपसंस्कृति ही ग्रहण की जाती है! पर वहां के महान शिक्षा विदों से कोई ज्ञान नहीं! आखिर क्यूँ, कम वस्त्र पहनने या व्यसन करने या झूठी शान से,
सम्रद्ध इतिहास का निर्माण तो नहीं हो सकता, हाँ ये हो सकता है कि," आपका नाम काजल से जरुर लिखा जा सकता है! आइये चिंतन करें- चेतन रामकिशन "देव"