Saturday 10 December 2011

♥♥♥♥♥♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कोहरा हो कितना भी गहरा, मंजिल से न नजर हटाना!
कभी ह्रदय ना छोटा करना, आँखों से ना नीर बहाना!
शस्त्रों के प्रहार से ज्यादा, है शब्दों की मारक छमता,
हो जाए जो ह्रदय छलनी , ऐसे ना मुख-तीर चलाना!"
----------"शुभ-दिन"------चेतन रामकिशन "देव"-----