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कोहरा हो कितना भी गहरा, मंजिल से न नजर हटाना!
कभी ह्रदय ना छोटा करना, आँखों से ना नीर बहाना!
शस्त्रों के प्रहार से ज्यादा, है शब्दों की मारक छमता,
हो जाए जो ह्रदय छलनी , ऐसे ना मुख-तीर चलाना!"
----------"शुभ-दिन"------चेतन रामकिशन "देव"-----
कोहरा हो कितना भी गहरा, मंजिल से न नजर हटाना!
कभी ह्रदय ना छोटा करना, आँखों से ना नीर बहाना!
शस्त्रों के प्रहार से ज्यादा, है शब्दों की मारक छमता,
हो जाए जो ह्रदय छलनी , ऐसे ना मुख-तीर चलाना!"
----------"शुभ-दिन"------चेतन रामकिशन "देव"-----