Wednesday, 26 February 2014

♥ग़मों की फसल...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ग़मों की फसल...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
फसल ग़मों की हरी भरी है, दुख में नया इज़ाफ़ा होगा!
गम की फलियां देखके लगता, मुझको बहुत मुनाफा होगा!
मेरी फसल की देख तरक्की, बुरा वक़्त शाबाशी देगा,
और वक़्त के हाथों में भी, गम से भरा लिफाफा होगा! 

फसल ग़मों की देखके जिनको, अपना जीवन बोझिल लगता!
उनको लोगों को इस जीवन में, देखो कुछ भी मिल नहीं सकता!
बिना कठिनता पाये जग, नहीं सफलता मिल सकती है, 
बिन मेहनत के इस दुनिया में, जीत का गुलशन खिल नही सकता!

वक़्त भले कितने भी गम दे, भले फसल हो गम की भारी!
टूट न जाना तुम पीड़ा से, चाहें कितनी हो दुश्वारी!
"देव" जहाँ में उन लोगों ने ही, देखो इतिहास बनाया,
जिनमें हिम्मत और सच्चाई, जिनमें रहती है खुद्दारी!

बदले किस्मत देखके हिम्मत, खुशियों भरा लिफाफा होगा!
फसल ग़मों की हरी भरी है, दुख में नया इज़ाफ़ा होगा!"

..................चेतन रामकिशन "देव"….................
दिनांक-२६.०२.२०१४

♥♥प्रेम तपस्या...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम तपस्या...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रेम तपस्या बहुत कठिन है, प्रेम का पथ आसान नहीं है!
विषय रहित वो प्रेम है जिसमें, मानवता का मान नहीं है!
नहीं प्रेम की सीमाओं में, केवल युगलों की चंचलता,
प्रेम तो वो विश्वास है जिसके, बिन जग में भगवान नहीं है!

प्रेम, विरह की घड़ियों में भी, नहीं टूटकर खंडित होता!
प्रेम है घोतक सच्चाई का, नहीं झूठ से मंडित होता!

प्रेम की सीमा इतनी व्यापक, कि उसका अनुमान नहीं है!
प्रेम तपस्या बहुत कठिन है, प्रेम का पथ आसान नहीं है!

ढाई अक्षर लिख देना ही, नाम प्रेम का कब होता है!
प्रेम समर्पण भाव है जिसमें, खुद का कुछ भी कब होता है!
"देव" भले भगवान को हमने, न देखा अपनी आँखों से,
किन्तु जिससे प्रेम पनपता, प्रेम में वो ही रब होता है!

प्रेम जहां जिस परिसर में हो, वहाँ रात में दिन होता है!
प्रेम से महके वायुमंडल, और सुन्दर ये मन होता है!

निकट की अनुभूति दूरी में, रिक्ति का स्थान नहीं है!
प्रेम तपस्या बहुत कठिन है, प्रेम का पथ आसान नहीं है!"

......................चेतन रामकिशन "देव"…...................
दिनांक-२६.०२.२०१४