Wednesday, 26 February 2014

♥♥प्रेम तपस्या...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम तपस्या...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्रेम तपस्या बहुत कठिन है, प्रेम का पथ आसान नहीं है!
विषय रहित वो प्रेम है जिसमें, मानवता का मान नहीं है!
नहीं प्रेम की सीमाओं में, केवल युगलों की चंचलता,
प्रेम तो वो विश्वास है जिसके, बिन जग में भगवान नहीं है!

प्रेम, विरह की घड़ियों में भी, नहीं टूटकर खंडित होता!
प्रेम है घोतक सच्चाई का, नहीं झूठ से मंडित होता!

प्रेम की सीमा इतनी व्यापक, कि उसका अनुमान नहीं है!
प्रेम तपस्या बहुत कठिन है, प्रेम का पथ आसान नहीं है!

ढाई अक्षर लिख देना ही, नाम प्रेम का कब होता है!
प्रेम समर्पण भाव है जिसमें, खुद का कुछ भी कब होता है!
"देव" भले भगवान को हमने, न देखा अपनी आँखों से,
किन्तु जिससे प्रेम पनपता, प्रेम में वो ही रब होता है!

प्रेम जहां जिस परिसर में हो, वहाँ रात में दिन होता है!
प्रेम से महके वायुमंडल, और सुन्दर ये मन होता है!

निकट की अनुभूति दूरी में, रिक्ति का स्थान नहीं है!
प्रेम तपस्या बहुत कठिन है, प्रेम का पथ आसान नहीं है!"

......................चेतन रामकिशन "देव"…...................
दिनांक-२६.०२.२०१४

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