Friday 18 July 2014

♥♥पीड़ा का भंडारण..♥♥


♥♥♥पीड़ा का भंडारण..♥♥♥
मन पीड़ा से भरा हुआ है!
ज़ख्म पुराना हरा हुआ है!
अपनायत से दर्द मिला और,
दिल अपनों से डरा हुआ है!

कोमल दिल को छलनी करके,
कुछ अफ़सोस नहीं होता है!
क़त्ल दिलों का करके देखो, 
उनको रोष नहीं होता है!
मानवता की हत्या करके,
हत्यारे वो बन जाते हैं,
लेकिन फिर भी कानूनों में,
उनका दोष नहीं होता है!

झूठ हो रहा सब पे हावी,
और सच मानों मरा हुआ है!
अपनायत से दर्द मिला और,
दिल अपनों से डरा हुआ है...

बीच डगर में छोड़ा करते!
लोग दिलों को तोड़ा करते!
जिनको अपना कहते उनका,
नाम ग़मों से जोड़ा करते!
बस अपने मतलब की खातिर,
करते हैं झूठी हमसफ़री,
मतलब पूरा हो जाने पर,
अपने रुख को मोड़ा करते!

"देव" इसी आलम ने देखो,
मन आवेशित करा हुआ है!
अपनायत से दर्द मिला और,
दिल अपनों से डरा हुआ है!"

.....चेतन रामकिशन "देव".....
दिनांक-१८.०७ २०१४