Friday 25 April 2014

♥♥नफ़रत का ताबीज़...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥नफ़रत का ताबीज़...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कभी दुआयें साथ नहीं हों और कभी मरहम नहीं मिलता!
कौनसा ऐसा लम्हा होता, जिस दिन मुझको ग़म नही मिलता!
नफ़रत का ताबीज़ पहनकर, लोग करें उल्फ़त की बातें,
लेकिन इन झूठी बातों से, प्यार, वफ़ा को दम नहीं मिलता!

प्यार की बातें लगें खोखली, यदि यकीं, विश्वास नहीं हो!
पास भी होकर दूर लगे वो, ग़र दिल में एहसास नहीं हो!

नफ़रत की इस धुंध में देखो, सुकूं भरा मौसम नही मिलता!
कभी दुआयें साथ नहीं हों और कभी मरहम नहीं मिलता...

रेगिस्तानी जीवन में जब प्यार की धारा बह जाती है!
तो दुनिया की सारी नफ़रत, देखो पीछे रह जाती है!
"देव" जहाँ में सच की ताक़त, भले देर से जीते लेकिन,
मगर ईमारत झूठ की देखो, एक दिन नीचे ढ़ह जाती है!

बिना प्यार और अपनेपन के, मानवता हारी रहती है!
खुली हवा में भी दम घुटता, सांस हर एक भारी रहती है!

नफ़रत से झुलसा हर पौधा, पत्ता तक भी नम नही मिलता!
कभी दुआयें साथ नहीं हों और कभी मरहम नहीं मिलता!"

....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-२५.०४.२०१४